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14 Sep 2019 · 1 min read

जल गजल

कदम दर कदम हम बढा करते हैं ।
अपनी ऊँचाइयों तक यूँ ही चढ़ा करते हैं ।
लिखते कम है आजकल खुद की बातें ।
आपके सारे जज्बात पढा करते हैं ।

ईश्वर मुझको न इतना बड़ा बना
देखता हूँ कि अमीर अकडा करते हैं ।
नशा बड़ी चीज है गंदी मानो।
जिसपर चढती है नाली में गिरा करते हैं ।

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