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8 Sep 2019 · 1 min read

एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही

कभी दिवार , कभी छत , कभी मका बनी रही
खुद में कैद होकर सबके लिए जहां बनी रही
हजारों दर्द सहती रही चुप रहकर
एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही

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