Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2019 · 1 min read

समाज के ठेकेदार

चूर चूर कर डाले रिश्ते
समाज के ठेकेदारों ने
खुद के दोष रहे छिपाए
लगे औरों को उछलाने में
भावहीन भयमुक्त हो गए
लगे औरों को धमकाने में
छोटों को तहबीज रही नहीं
लगे बड़ों को अपमाने में
पढे लिखे मूर्ख बन गए लगे
कढे हुओं को समझाने म़े
दुख सुख म़े जो जुड़ते थे
लगे उनको तुड़वाने में
साक्षरों से अनपढ़ अच्छा
जो समझे बात अन्जाने में
कबीले नेता वो अच्छे थे
रखते थे बात जुड़ाने में
आज समाज प्रधान को देखो
रखते विशवास तुड़ाने म़े
अहम का सर नीचा होता है
समझो बात को सयाने में
किसी का बेहतर खर न सको
तो बचो बुराई कमाने में
भाई बहनों को अलग कर दिया
कमाया पाप नौजवानों नें
दुखी आत्मा माफ नहीं करेगी
मिलेगा फल इसी जमाने में
झूठ फरेब का उढावन पहने
लग गए हैं सच को छुपाने में
समय है अब भी सुधर जाओ
नहीं तो लग जाओगे पछताने में
झूठी शान दिखाने वालो
लगो सच को जताने में
खुद् के गरिबान में झाकों तो
दिख जाएगा सच आइने में

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 763 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
Manisha Manjari
रक्षा बंधन पर्व
रक्षा बंधन पर्व
Neeraj kumar Soni
🙅क्लीन होगा
🙅क्लीन होगा "नीट"🙅
*प्रणय प्रभात*
अनवरत
अनवरत
Sudhir srivastava
बाबा के गाम मे
बाबा के गाम मे
श्रीहर्ष आचार्य
शाख़-ए-गुल टूटने लगे हैं
शाख़-ए-गुल टूटने लगे हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हिंग्लिश में कविता (हिंदी)
हिंग्लिश में कविता (हिंदी)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सन्तानों  ने  दर्द   के , लगा   दिए    पैबंद ।
सन्तानों ने दर्द के , लगा दिए पैबंद ।
sushil sarna
दोहा
दोहा
Ankit Kumar Panchal
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
Ankita Patel
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
आज फिर से
आज फिर से
Madhuyanka Raj
"तेरी यादें"
Dr. Kishan tandon kranti
योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका
योजनानां सहस्रं तु शनैर्गच्छेत् पिपीलिका
पूर्वार्थ देव
ऐ मोनाल तूॅ आ
ऐ मोनाल तूॅ आ
Mohan Pandey
मा ममता का सागर
मा ममता का सागर
भरत कुमार सोलंकी
मैं बेबस सा एक
मैं बेबस सा एक "परिंदा"
पंकज परिंदा
चाहे पास हो या दूर रहे
चाहे पास हो या दूर रहे
Chitra Bisht
आभार
आभार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
कोशिश करके हार जाने का भी एक सुख है
पूर्वार्थ
एक वो भी दौर था ,
एक वो भी दौर था ,
Manisha Wandhare
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
फिर वही सुने सुनाए जुमले सुना रहे हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
वार्ता
वार्ता
Deepesh Dwivedi
4561.*पूर्णिका*
4561.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
नदी से जल सूखने मत देना, पेड़ से साख गिरने मत देना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
भारत की नई तस्वीर
भारत की नई तस्वीर
Dr.Pratibha Prakash
कचोट
कचोट
Dr.Archannaa Mishraa
Loading...