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4 Sep 2019 · 1 min read

खूबसूरत हसीना

सादगी की मूरत है भोली सी सूरत
हुस्न की मल्लिका बहुत खूबसूरत

सरिता धारा सी शालीन स्वभावी
झील सी गहरी आँखे बहुत प्यारी
मुखड़ा है उसका चाँद का टुकडा
कोयल सी वाणी रसीली शरबत

मृगनयनी चमकते दो नशीले नयन
मेघों सा उमड़ता उभरता नवयौवन
गेसुओं की घनी छाँव सुराही गर्दन
सजने संवरने की नहीं है जरूरत

मोरनी सी चाल है बहुत ही मस्तानी
प्यासे होठ सुर्ख गुलाब से भी गुलाबी
हिरणी सी मचलती मटकती जवानी
नागिन सी बल खाती छाती मदमस्त

पतली कमर है बदन की है भारी
गुलिस्तां हुस्न की भरी है पटारी
देखने वाला मूख देखता रह जाए
कसम से है वो बलां की खुबसूरत

हँसती है जैसे खनकती है कहीं पायल
शरमाना मुस्कराना करता है पायल
अंबर से लगता है उतरी हुस्नपरी हो
गजब ढाता रूप जैसे रानी पदमावत

सादगी की मूरत है भोली सी सूरत
हुस्न की मल्लिका बहुत खूबसूरत

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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