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1 Sep 2019 · 1 min read

आएंगे पंछी घर अपने ही सूरज को जरा ढल लेने दो

मशरूफ है वो अब
उन्हें मशरूफ रहने दो

चकाचौंध के इस जहाँ में
उनको चंद वक़्त रहने दो

आएंगे पंछी घर अपने ही
सूरज को जरा ढल लेने दो

ज़दा है कफ़स का मुसाफ़िर
उन्हें भी जरा स्वाद चख लेने दो

सुना है क़ाजी बढ़ा काबिल है
क़ाजी को चंद क़ानून पढ़ लेने दो

ख़ुमार है ‘दीप’ उन्हें भी दौलत का
अपनी औक़ात का पता चल लेने दो

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