Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Aug 2019 · 1 min read

कई खत

१.
दूर भी रहते हैं

वो पास भी रहते हैं

वास्ता नही रखते हमसे

बस छुप-छुप के तकते हैं

इश्क सरेआम जाहिर न हो जाय

बस इससे ही तो वो डरते हैं…
…सिद्धार्थ
२.

***

कई खत लिखे थे, फिर तेरे ही यादों की ही नदी में हम बहा आये

जो ख़ुशी मयस्सर न हमें उसे उठ के हम यादों में ही दफ़ना आये !
…सिद्धार्थ

Loading...