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23 Aug 2019 · 1 min read

अब मैं क्या करूँ ?

अब मैं क्या करूँ

अब मैं क्या करूँ
मैं सच बोलता हूँ
तुम मक्कार हो तो
तुम्हे मक्कार बोलता हूँ

मेरी खामी बस इतनी सी
तुम सवार हो घोड़े पर
तो तुम्हे घुड़सवार बोलता हूँ

हर जिस्मो का व्यापार
झूठ अनीति और दुराचार
जो लोग हर चीज़ बेचने को तैयार
उनके मन की गार देखता हूँ

जिनको नहीं फर्क पड़ता उपदेशों का
है कितना परिवार उनका संस्कारी
ऐसे लाचारों को, संस्कार बेचता हूँ

अब मैं क्या करूँ
मैं सच बोलता हूँ
तुम मक्कार हो तो
तुम्हे मक्कार बोलता हूँ
तनहा शायर हूँ

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