Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Aug 2019 · 1 min read

बुढ़ापा {घनाक्षरी}

बुढ़ापा
{घनाक्षरी}
□■■■□■■■□■■■□
हो के नौजवान तुम हँसते हो वृद्धों पर,
तेरी बात तेरी माँ को देखना रुलायेगी।

जो सारे संस्कार तुम भूलते ही जा रहे हो,
अब तेरे तात को भी नींद नहीं आयेगी।

ठीक नहीं अपनी जवानी पर यूँ गुमान,
आएगा बुढापा कोई चीज नहीं भायेगी।

भले कितना भी क्रीम तेल पाउडर मलो,
तेरी चमड़ी भी एक दिन झूल जायेगी।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 22/08/2019

Loading...