Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Aug 2019 · 1 min read

तुम्हे ढूंढती है निगाहेँ

वही मुस्कान वही प्यार
उसी बेचैनियों के नजारे
उसी सरक से गुजरकर
उसी घाट के किनारे
कही दूर झीलसि
तुम्हे ढूंढती है निगाहेँ

सूनेपन के कोने की
सारी खिड़कियां खोल
एहसासो के हवा को
जब भी चूमती है
कही दूर झीलसि
तुम्हे ढूंढती है निगाहेँ

तुम मिलजाओगे
किसी मोरपर
इसी भरोसे के सहारे
हर मोरसे गुजरकर
वही ठहरती है नजारे
कही दूर झीलसि
तुम्हे ढूंढती है निगाहेँ

तुम्हे हरबार
तुझमे ही ढूंढकर
वही पत्ता लिए
हर गलियों में
भटकती है निगाहेँ
कही दूर झीलसि
तुम्हे ढूंढती है निगाहेँ

✍️सोना भारती
(21-08-2019)

Loading...