Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2019 · 1 min read

आज कल इश्क के चर्चे होते नही।

आजकल इश्क के चर्चे होते नहीं
मोहब्बत की बातें कोई करते नहीं
फुर्सत ही नही है दिल लगाने की
अब पैसों में हर चीज मिलती है
यहाँ तन खरीदो या मन खरीदो
हम ख़ुशी चाहते है चंद लम्हो की।
बृन्दावन बैरागी”कृष्णा”

Language: Hindi
1 Like · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

यक़ीनन खंडहर हूँ आज,
यक़ीनन खंडहर हूँ आज,
*प्रणय प्रभात*
हर खेल में जीत का आलम नहीं होता
हर खेल में जीत का आलम नहीं होता
दीपक बवेजा सरल
गुज़ारिश है रब से,
गुज़ारिश है रब से,
Sunil Maheshwari
बैठे थे किसी की याद में
बैठे थे किसी की याद में
Sonit Parjapati
हमें सलीका न आया।
हमें सलीका न आया।
Taj Mohammad
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित एक मुक्तक काव्य
शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित एक मुक्तक काव्य
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
वो अगर चाहे तो आगे भी निकल जाऊँगा
वो अगर चाहे तो आगे भी निकल जाऊँगा
अंसार एटवी
जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है... वही से हमारी इंसानियत आ
जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है... वही से हमारी इंसानियत आ
ललकार भारद्वाज
#रिश्ते #
#रिश्ते #
rubichetanshukla 781
बाल कविता शेर को मिलते बब्बर शेर
बाल कविता शेर को मिलते बब्बर शेर
vivek saxena
मैं बग़ैर आंसुओं के भी रोता रहा।।
मैं बग़ैर आंसुओं के भी रोता रहा।।
Vivek saswat Shukla
जीव-जगत आधार...
जीव-जगत आधार...
डॉ.सीमा अग्रवाल
पल्लू की गरिमा (लघुकथा)
पल्लू की गरिमा (लघुकथा)
Indu Singh
यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
यदि मेरी चाहत पे हकीकत का, इतना ही असर होता
Keshav kishor Kumar
रिश्ते मांगने नहीं, महसूस करने के लिए होते हैं...
रिश्ते मांगने नहीं, महसूस करने के लिए होते हैं...
पूर्वार्थ देव
शर्मनाक हरकत
शर्मनाक हरकत
OM PRAKASH MEENA
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
मै ज़ब 2017 मे फेसबुक पर आया आया था
शेखर सिंह
"Maturity is realising that other people are not mind reader
पूर्वार्थ
भारती का मान बढ़ा
भारती का मान बढ़ा
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
इस क़दर उलझे हुए हैं अपनी नई ज़िंदगी से,
इस क़दर उलझे हुए हैं अपनी नई ज़िंदगी से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शब्दों के कारवाँ
शब्दों के कारवाँ
Kshma Urmila
दीवानी कान्हा की
दीवानी कान्हा की
rajesh Purohit
कैसा जुल्म यह नारी पर
कैसा जुल्म यह नारी पर
Dr. Kishan tandon kranti
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
Vijay Nagar
दानवी शक्तियों को सुधारा नहीं जाता था
दानवी शक्तियों को सुधारा नहीं जाता था
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
का कहीं लोर के
का कहीं लोर के
आकाश महेशपुरी
हैं राम आये अवध  में  पावन  हुआ  यह  देश  है
हैं राम आये अवध में पावन हुआ यह देश है
Anil Mishra Prahari
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...