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20 Aug 2019 · 1 min read

क्या ये दुनिया शराब सी शराबी है।

क्या ये दुनिया शराब सी शराबी है।
या मुझमें ही कोई खराबी है।

शायद इश्क़ ही ना हुआ मुझसे
या मेरी महबूब तू किताबी है।

सुना था तेरी जैसी हसरत नहीं कोई
पर तू तो सिर्फ मुर्दार सी नवाबी है।

मेरी मुस्कान पर तेरा ही दीदार हुआ
आज भी तेरी हर मुलाक़ात फरेबी है।

मेरी ज़िंदगी में अगर ग़म हो जाता
तो लगता तेरी हर खुशी गुलाबी है।

चाहे मेरे अश्क़ बहे या मिट जाऊं मै
लेकिन तेरे ये अश्क़ झूठे सैलाबी है।

– नितिन धामा

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