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15 Aug 2019 · 1 min read

सुनों न…

सुनों न…

वो, मुझे कुछ पूछना था…?

पूछूँ क्या… सच-सच कहोगे ?

किसी बात से तो न डरोगे ?

इस रक्षा पर्व पर,

रक्षक किस-किस को बनना है ?

आजादी के जश्न में किसको

गुलामों का रक्षक होना है ?

किस-किस को औरतों का

तथाकथित राखी भाई…रक्षा का सौदाई

सहोदरों से भी सहोदर भाई बनना है ?

किस-किस को मेरा भी भाई बनना है ?

मत बनो, मत चुनों बहन मुझको

मेरी जैसी किसी भी स्त्री जात को नही

रक्षा का झूठा वादा न दो

अपनी जात से जरा जाकर कह दो…

रक्षा किस से किस की करनी है ?

क्या मर्द से ही, नही औरत को

मर्द तुम्हे बचानी है…?

एक बहन का भाई होकर

दूसरे के सपने को तुम्ही को तो छलनी है

इस लिए मत चुनों बहन मुझे…

हमारे होने पर खुद का दावा मत दो

हमें रिश्तों का झांसा मत दो

देना चाहते हो गर कुछ तो

हमें हमारे होने का हक दो

हमारे स्त्रीत्व को बाँझ मत करो

फूलने फलने दो

कोख से लेकर सड़क तक,

हमें आजादी और जीवन महसूसने दो

हमें बहन नही, अपनी जाई की जात समझो

खुद को रक्षक नही, हमारे संग साथ समझो

देना हो तो दे दो यही उपहार

बनाओ न मुझको बहन कह कर लाचार…

…सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 501 Views
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