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8 Aug 2019 · 1 min read

मेरे दिल की है सखी मेरी ग़ज़ल

मेरे दिल की है सखी मेरी ग़ज़ल
करती रहती दिल्लगी मेरी ग़ज़ल

राग मैं हूँ रागनी मेरी ग़ज़ल
प्रीत में रहती पगी मेरी ग़ज़ल

साज पर जब भी सजी मेरी ग़ज़ल
लूट कर दिल ले गई मेरी ग़ज़ल

जानती है मेरे दिल को पढ़ना ये
भाव सब लिखती रही मेरी ग़ज़ल

शब्द पायल भावनाएं चूड़ियाँ
है मधुर झंकार सी मेरी ग़ज़ल

प्रेम की बरसात में भीगी हुई
झूला कजरी सावनी मेरी ग़ज़ल

वक़्त के सँग रिश्ता है इसका प्रबल
लम्हों से लिखती सदी मेरी ग़ज़ल

कल्पनाओं की हैं लहरें अनगिनत
शांत बहती सी नदी मेरी ग़ज़ल

वाह पाकर फूल सी खिल जाएगी
है अभी नाजुक कली मेरी ग़ज़ल

‘अर्चना’ इसके बिना मैं कुछ नहीं
अब तो मेरी ज़िन्दगी मेरी ग़ज़ल

08-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 1 Comment · 502 Views
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