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6 Aug 2019 · 1 min read

तिलका छंद

शिल्प .? सगण, सगण ११२ ११२
छः वर्ण (दो दो चरण समतुकान्त)

शिव को जप लो।
तुम भी तप लो।।
उर में भर लो।
भव से तर लो।।

शिव शंकर हे।
अभयंकर हे।।
मम पाप हरो।
उर ताप हरो।।

तुम पालक हो।
जग चालक हो।।
सब कष्ट हरो।
दुख नष्ट करो।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

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