Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jul 2019 · 1 min read

भ्रम

है जवानी
एक धोखा
मत होओ
मदहोश इसमें
कर्म ही
पहचान है
गर रहे संयमित
जवानी में
नहीं होगी
बदनामी
जीवन में

यौवन है
पानी सा
बुलबुला
उड़ जाऐगा
एक दिन
गर रहे
अपने अपनों के
ये
जीवन में
यादें छोड़
जाऐगा

न कर घमंड
न उड़ आसमां में
इन्सा
कर इज्जत
बुजुर्गों की
न जवानी रहेगी
न यौवन रहेगा
है सब भ्रम
मन का
आशीर्वाद ही
साथ रह पाऐगा

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
353 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
Ranjeet kumar patre
प्रेम क्या है?
प्रेम क्या है?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
4727.*पूर्णिका*
4727.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
2122 1122 1122 22
2122 1122 1122 22
sushil yadav
आदमी  उपेक्षा का  नही अपेक्षा का शिकार है।
आदमी उपेक्षा का नही अपेक्षा का शिकार है।
Sunil Gupta
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
सफर ये मुश्किल बहुत है, मानता हूँ, इसकी हद को भी मैं अच्छे स
पूर्वार्थ
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
डॉ.सीमा अग्रवाल
गुड़िया
गुड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्या लिखूँ....???
क्या लिखूँ....???
Kanchan Khanna
गीतिका
गीतिका
जगदीश शर्मा सहज
जन्माष्टमी
जन्माष्टमी
लक्ष्मी सिंह
यूँ  तो प्रयागराज से हम लौट आए हैं
यूँ तो प्रयागराज से हम लौट आए हैं
Dr Archana Gupta
मैं खड़ा किस कगार
मैं खड़ा किस कगार
विकास शुक्ल
मन का महाभारत
मन का महाभारत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नशीली हवाओं का खुमार छा गया ।
नशीली हवाओं का खुमार छा गया ।
DR. RAKESH KUMAR KURRE
सृजन
सृजन
Bodhisatva kastooriya
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला
संजीव शुक्ल 'सचिन'
छोटे-मोटे चोर, उचक्के, ठग, लुटेरे, उठाईगिरे भी बस उन्हें
छोटे-मोटे चोर, उचक्के, ठग, लुटेरे, उठाईगिरे भी बस उन्हें "फ़ॉ
*प्रणय प्रभात*
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
पंकज परिंदा
चिंतन...
चिंतन...
ओंकार मिश्र
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
1857 की क्रान्ति में दलित वीरांगना रणबीरी वाल्मीकि का योगदान / Role of dalit virangana Ranbiri Valmiki in 1857 revolution
Dr. Narendra Valmiki
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 )
मेरी पहली कविता ( 13/07/1982 ) " वक्त से "
Mamta Singh Devaa
स्त्री मन
स्त्री मन
Vibha Jain
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
गीत सुनाता हूं मरघट के सुन पाओगे।
Kumar Kalhans
भाई से सन्देश ये कहना
भाई से सन्देश ये कहना
Bharti Das
धर्म भी अजूबा है।
धर्म भी अजूबा है।
Acharya Rama Nand Mandal
ସାଧନାରେ କାମନା ବିନାଶ
ସାଧନାରେ କାମନା ବିନାଶ
Bidyadhar Mantry
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दर्द इस क़दर मिले
दर्द इस क़दर मिले
हिमांशु Kulshrestha
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
ताल-तलैया रिक्त हैं, जलद हीन आसमान,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...