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24 Jul 2019 · 1 min read

मुस्कान

मुस्कान

मुझे बाजार में
एक आदमी मिला
जिसके चेहरे पर
न था कोई गिला
जो लगतार
मुस्करा रहा था
बङा ही खुश
नजर आ रहा था
मैंने उससे पूछा कि
कमाल है आज
जिसको भी देखो
मुंह लटकाए फिरता है
तनावग्रस्त-सा दिखता है
आपकी मुस्कान का
क्या राज है
मुस्करा रहे हो
कुछ तो खास है
उसने कहा
मुझपे भी
महंगाई की मार है
मुझपे भी
गम सवार है
यहाँ दुखदाई
भ्रष्टाचार है
ऐसे में
खुश रहना कैसा
मुस्कराता नहीं
मेरा मुंह ही है
ऐसा

-विनोद सिल्ला

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