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24 Jul 2019 · 1 min read

हुनरमंद है वो

हुनरमंद है वो

वो
भिगो लेता है शब्दों को
स्वार्थ की चाशनी में
रंग जाता है अक्सर
अवसरवादिता के रंग में
वो धार लेता है
मौकाप्रसती के आभूषण
ओढ़ लेता है आवरण
आडम्बरों का
नहीं होता विचलित
रोज नया रंग बदलने में
आगे बढ़ने के लिए
रख सकता है पाँव
अपने से अगले के गले पर
सहयोगी उसके साथी नहीं
संसाधन मात्र हैं
उपयोग के बाद
जो किसी काम के नहीं
बड़ा हुनरमंद है वो

-विनोद सिल्ला©

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