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22 Jul 2019 · 1 min read

विरह-५

मेरे घर की आबादी में
शामिल है मेरी तन्हाई
और हर पल गूँजता
एक सन्नाटा

निबाह ही लेता हूँ
इनके साथ
किसी तरह
खामोशी से

हां, कुछ मचलते ख्वाब
और बीते हसीन लम्हें भी हैं
जो देते हैं दस्तक
बैचैन रातों में
सुबह के भूले से
और गुम हो जाते हैं
सहमकर
सुबह की पहली आहट से

कई बार गुजारिश की है
की ठहर जाओ बतौर
मेहमां
कुछ दिनों के लिए
शायद सकून भी लौट आये
ये खबर सुनकर

मेरी दरख्वास्त
नामंजूर हुई जाती है
हर बार

इन दिनों सब तेरे
हवाले से बात करते हैं
कि सिफारिस हो उनकी
तो बात बन जाए

Language: Hindi
2 Likes · 286 Views
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