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20 Jul 2019 · 1 min read

बचपन बनाम बुढ़ापा

नहीं सोचा था
बचपन में
बुढापा आऐगा

कागज की नाव
बुढ़ापे तलक
लकड़ी की
हो जाऐगी

मम्मी पापा की
फटकार
अब यादें
रह जाएंगी

मास्साब
की छड़ी
निशान
छोड़ जाएंगी

बचपन में
स्कूल की टाटपट्टी
खींचन कर गिराना
बुढ़ापे तलक
अपनों को
गिराने का
शौक बन जाऐगा

बचपन में
मालपुआ
खाने की पसंद
बुढ़ापे में
फीके खाने तलक
आ जाऐगी

बुढ़ापे में तो
नटखट बचपन
याद आऐगा
है विडम्बना यही
बचपन में
नटखट बुढापा
याद आता नहीँ

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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