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19 Jul 2019 · 1 min read

चाह

चलते चलते रुकना ना पड़े
ऐसी राह पकड़ चलो
करते करते थमना ना पड़े
ऐसी चाह पकड़ चलो

कर्म अपने करते चलो
चाहे राहें कैसी भी हों
फूल, काँटे हों पथ पर
क़दम कभी थमने ना दो

चाह और राह ऐसी चुनो
हमदम, हमसफ़र का साथ हो
राही कुछ दूर आगे बढ़ो
मंज़िल की ओर निकल चलो।

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