पेड़
ठंडी -ठंडी छाया देते,
मीठे मीठे फल लगते,
पंछियों का बनते बसेरा,
सबको दिखाते नया सवेरा,
फिर क्यू………..
रोज रोज कट रहे,
बंजर धरा सब कहे,
मूक होकर सब सहे,
पेड़ो बिना माटी बहे,
जब गर्मी बरसाए कहर,
सूख जाए नदी और नहर,
बरखा रानी रूठ जाए,
फिर भी जन समझ न पाए,
बढ़ रहा नित प्रदूषण,
घुल रहा विष कण कण,
कट गए सारे जंगल,
हो रहा रोज रोज दंगल,
जग कहता सुन लो जन,
बचा लो तुम अपने वन,
बून्द बून्द से घड़ा भरता,
बीज बीज से पेड़ बनता,
सब जन पेड़ लगाकर,
अपनी धरा को बचाकर,
जन्म सफल कर लीजिए,
मानव धर्म निभा जाइये,
बीजो को एकत्रित कर,
बारिस में सबको लगाकर,
धरा को हरा भरा कीजिये,
खुशहाली का पथ चुनिए,
।।जेपी लववंशी, हरदा ।।