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5 Jul 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

जिसकी आँखों का मर गया पानी
समझो उसका उतर गया पानी

याद आई जो उस सितमगर की
मेरी आँखों में भर गया पानी

आशियाना डुबा के सपनों का
मुझको बर्बाद कर गया पानी

इक भी मोती न हाथ आएँगे
ज़िन्दगी से अगर गया पानी

भीगा दामन है आज पत्थर का
जब इधर से उधर गया पानी

बर्फ़ के जिस्म से था लिपटा पर
देख गर्मी सिहर गया पानी

तिश्नगी में तड़प रहा “प्रीतम”
जाने अब किस सफ़र गया पानी

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती(उ०प्र०)

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