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5 Jul 2019 · 1 min read

संस्कार है दर्पण

दिनांक 5/7/19

संस्कार सिखाते
माता पिता
निखरता व्यक्तित्व
बच्चों का

बेटी के संस्कार
होते दर्पण
दो घरों के
होतीं बेटियाँ
लाड़ली
मायके – ससुराल में

जाओ घर किसी के
दिखते संस्कार
दरवाजे से ही
नम्रता, व्यवहार
स्वागत है
इसकी पहचान

भारतीय
संस्कृति और
संस्कारों की
दुनियाँ है कायल
राम रहीम
नानक ईसा
है सब पूज्य यहाँ

ऐसे दे संस्कार
बच्चों को
गलत काम
वो करे नहीं
मेहनत
ईमानदारी से
जिंदगी
कांटे सारी

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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