बरखा रानी
बरखा रानी, बरखा रानी,
लेकर आई हो तुम पानी,
झूम रहे देखो जन – जन,
महक उठे सारे उपवन,
धरा की बुझ रही प्यास,
देखो उगने लगी हैं घास,
भाग रही हैं अब गरमी,
हरी भरी होने लगी जमीं,
नदी – नाले उफान पर,
पवन सवार तूफान पर,
हर चेहरे पर हैं मुस्कान,
घर घर हो रहे मधुर गान,
।।जे पी लववंशी, हरदा मध्यप्रदेश ।।