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3 Jul 2019 · 1 min read

मुस्कान से खिला खिला चेहरा दिखाई दे

मुस्कान से खिला खिला चेहरा दिखाई दे
आंखों में तैरता हुआ दरिया दिखाई दे

कितनी भी कामयाबी की तुम सीढियां चढो
झुकने में कद ये और भी ऊँचा दिखाई दे

सैलाब आँसुओं का न रुकता है नींद में
जब टूटता हुआ कोई सपना दिखाई दे

बदली हुई निगाहें हैं अंदाज़ भी अलग
आंखों पे रुतबे का चढ़ा चश्मा दिखाई दे

मिल जाती तपते दिल को मुहब्बत की छाँव सी
परदेश में अगर कोई अपना दिखाई दे

चलती तो ज़िन्दगी है मगर डर के ‘अर्चना’
अब हर तरफ ही खौफ का साया दिखाई दे

03-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता

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