Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Jul 2019 · 1 min read

एक पौधा बिटिया के नाम

जन्म हुआ जब बेटी का तब, इक पौधा लगवाया था
मुरझाने तक नही दिया बहुत प्यार से पाला था

हर साल जन्मदिन पर तब से , पौधा नया लगाती थी
बेटी के सँग सँग आँगन में ,हरियाली लहराती थी

हर पौधे की अपनी अपनी, रोचक नई कहानी थी
और नायिका उसकी मेरी, प्यारी बिटिया रानी थी

साथ समय के चलते चलते,पौधे बढ़ते चले गए
और कदम बेटी के भी तो ,गगन चूमते चले गए

चली गई ससुराल एक दिन, बेटी भी दुल्हन बन कर
उस दिन भी पौधा लगवाया, गुलमोहर मैंने चुन कर

आज वही पौधे बेटी बन, मेरा साथ निभाते हैं
बिटिया के ही जैसे मुझसे, बस बैठे बतियाते हैं

घर के हर कोने से बिटिया, तेरी खुशबू आती है
फूल हँसाते है मुझको जब ,कभी उदासी छाती है

डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...