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27 Jun 2019 · 1 min read

है दौर परिवर्तन का

परिवर्तन

है परिवर्तन
प्राकृति का नियम
कभी शीत
तो कभी ग्रीष्म
बरसात है
पावन ॠतु
चहुंओर फैली
हरियाली और
खुशहाली

चलता रहता
दौर परिवर्तन का
अंधविश्वास
अंधकार का
हो अंत
फैले उजियारा
हर घर

आज खरी
उतरती हैं
बेटियाँ
हर चुनौती का
करती सामना
डट कर

बेटियाँ हैं सहारा
माता पिता का
यह भी है
एक कहानी
परिवर्तन की

करें स्वागत
परिवर्तन का
ढलें और ढालें
अपने को
नये युग में

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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