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15 Jun 2019 · 1 min read

यूं ही रास्तों पे परेशान करती है

यूं ही रास्तों पे परेशान करती है तेरी यादें ।
तू ही बता इस कशमकश का मर्ज क्या है।।

फिक्र ए जिस्म का नूर हुड़ सा गया है ।
तेरी बाहों में छुपे पल याद है मुझे ।।

जब आंखों के पर्दे उठाए थे पहली बार ।
उस वक्त की जंजीरों में कसे हैं मेरे पल ।।

अब घड़ियां नहीं सदियां गुजरती हैं उन यादों में ।
और अकेले हम ही मरीज ए इश्क बैठे हैं ।।

यूं ही रास्तों पर परेशान करती हैं तेरी यादें।
तू ही बता इस कशमकश का मर्ज क्या है।।

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