Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2019 · 1 min read

मै तो हूँ ही बेवकूफ

मै तो हूँ ही बेवकूफ
इन सब मामलों में
प्यार के मामलों में
लुभाने के मामलों में
कोई रूठ जाए
तो उसे मनाने के मामलों में
आए अजनबी कोई सामने
तो दो शब्द कहने में
कोई पूछ ले कैसे हो भला
तो अपना हाल बताने में
मै तो हूँ ही बेवकूफ
एक सपना संजोने में
कोई कश्ती आगे बढ़ाऊँ
तो कश्ती संभालने में
कभी हौसलो को भीतर जगाऊँ
तो हौसले जिन्दा रखने में
इन्तज़ार और ख़लिश
अजीब है ये चीजें
हमेशा नाकाम हो जाता हूँ
इन्हें अब्तल करने में
मै तो हूँ ही बेवकूफ
अपनी बात को कहने में
दबाए रखा हूँ बेसबर की चीजें
मजबूर हूँ अहजान को छुपाने में
खबर चाहो तो हर अखबार मे मिले
मेरी खबर अज़ाब के तरानो में
मै तो हूँ गुलाम किसी बे-अन्दाज़ का
मगर लोग तर्क लिए बैठे है
मेरे ही बैंतो में
मै तो, हूँ ही बेवकूफ
इस भीड़ से खुद को निकालने में
शिवम राव मणि

Language: Hindi
2 Likes · 378 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
आप्रवासी उवाच
आप्रवासी उवाच
Nitin Kulkarni
अनोखा दौर
अनोखा दौर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आओ घर चलें
आओ घर चलें
Shekhar Chandra Mitra
विभाजन की विभीषिका
विभाजन की विभीषिका
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
संघर्ष
संघर्ष
विजय कुमार अग्रवाल
மழையின் சத்தத்தில்
மழையின் சத்தத்தில்
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
औरत को घर मिलता तो नसीब से है
औरत को घर मिलता तो नसीब से है
Ranjeet kumar patre
Pain of separation
Pain of separation
Bidyadhar Mantry
चलो मान लिया इस चँचल मन में,
चलो मान लिया इस चँचल मन में,
पूर्वार्थ
तुम साथ नहीं हो जनता हूँ,
तुम साथ नहीं हो जनता हूँ,
Lohit Tamta
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
ऊँ
ऊँ
Rajesh Kumar Kaurav
4528.*पूर्णिका*
4528.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
इत्र, चित्र, मित्र और चरित्र
Neelam Sharma
नया ज़माना
नया ज़माना
Dr.Priya Soni Khare
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Dr. Bharati Varma Bourai
।।
।।
*प्रणय प्रभात*
बच्चा और खिलौना
बच्चा और खिलौना
Shweta Soni
*नयी पीढ़ियों को दें उपहार*
*नयी पीढ़ियों को दें उपहार*
Poonam Matia
राह कोई नयी-सी बनाते चलो।
राह कोई नयी-सी बनाते चलो।
लक्ष्मी सिंह
तब और अब
तब और अब
manorath maharaj
खाली पैमाना
खाली पैमाना
ओनिका सेतिया 'अनु '
कभी कभी आईना भी,
कभी कभी आईना भी,
शेखर सिंह
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
वृक्षारोपण कीजिए
वृक्षारोपण कीजिए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
आभार धन्यवाद
आभार धन्यवाद
Sudhir srivastava
Loading...