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30 May 2019 · 1 min read

सच्चा अभिमान (कविता)

माता-पिता से मिली प्रथम शिक्षा
पाठशाला में गुरू से मिली दीक्षा
का ज़िंदगी में कभी न होता अंत
इस शिक्षा का खजाना ही ज्वलंत

इसी शिक्षा को बखूबी बनाया जा रहा माध्यम
धन कमाने हेतु व्यवसाय के रूप में
चलाया जा रहा कार्यक्रम

इस विशाल तकनीकी युग में हे इंसान
तू जरूर याद रख तेरा है वर्तमान
जिंदगी की बाढ़ में एकत्रित धन
कभी भी हो सकता है खत्म
शिक्षा का ऐसा है भंडार
जो कभी न होता कम

शिक्षा वो अहं ज्ञानरूपी गहना है
जिसको हम मन में सजाए सदा
प्रगति का मार्ग करते हैं प्रशस्त
इसी के बलबुते पर निर्णय लेते आश्वस्त

परमेश्वर से मिला संस्कार रूपी ज्ञान
जितना सर्वत्र हम करेंगे प्रसारित
इसकी मनमोहक सुगंध सदैव महकते हुए
विकसित दिशा में बढ़ाए सम्मान
यही तो है हमारा सच्चा अभिमान

Language: Hindi
2 Likes · 353 Views
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