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26 May 2019 · 1 min read

यहाँ पर मौत सस्ती मिल रही है

यहाँ पर मौत सस्ती मिल रही है
मगर ये जिन्दगी मह॔गी हुई है

बुल॔दी पर ज़रा सा तू जो पहुँचा
तुझे दुनिया ही छोटी लग रही है

मुझे इतना सताया जिन्दगी ने
कि मेरी मौत धोखा खा गई है

जिसे में भूल बैठा हूँ कभी का
तो फिर क्यों याद उसकी आ रही है

हर इक चेहरा फरैबी लग रहा है
वफा दुनिया से जैसे मिट गई है

मिरे घर में अंधेरा है तो क्या गम
मिरे दिल में तो आतिफ रोशनी है

इरशाद आतिफ (अहमदाबाद

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