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15 May 2019 · 1 min read

#रुबाइयाँ

आँखों में हसीं ख़्वाब उनके , लब पर ज़वाब रहने दो।
न जगाओ सोने दो हमको , कर में गुलाब रहने दो।।
मैं जैसा हूँ मस्ती में हूँ , यत्न बदलने का न करो;
बादलो दूर जाकर बरसो , घर आफ़ताब रहने दो।।

इश्क़ काम से करना अपने , और वफ़ा छल देती है।
करो मेहनत की बस पूजा , ये महका कल देती है।।
दर्द स्वयं का स्वयं मिटाओ , दर्द नहीं होगा ‘प्रीतम’:
औरों से टूटी आशा तो , पीड़ा पलपल देती है।।

#आर.एस.बी.प्रीतम

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