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8 May 2019 · 1 min read

मुक्तक

बदलते हुए इस वक़्त की आवाज बन जाओ
तुम इक नई तहज़ीब के, आगाज़ बन जाओ
बात केवल फायदे नुक़सान तक रखो नहीं
होकर समर्पित राष्ट्र पर, जांबाज़ बन जाओ

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