Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2019 · 1 min read

मस्तिष्क पक्षाघात से जूझ रहा हूंॅ

।।जीवन को वरदान बना दो।।

मस्तिष्क पक्षाघात से जूझ रहा हूंॅ
छोटा-सा सवाल पूछ रहा हूं ?

क्यों नहीं हो सकता मुझपे खर्च
वैज्ञानिक क्यों नहीं करते रिसर्च।

रोबोट में तो डाल रहे संवेदना
समझ नहीं रहा कोई मेरी वेदना।

क्यों रहूं मैं किसी पर निर्भर
मैं भी होना चाहता हूं आत्मनिर्भर।

अंतरिक्ष के रहस्य जानना चाहता हूं
मैं भी इंसान होना चाहता हूं ।

कई रोगों का तो मिटा दिया धब्बा
मैं थामे हूं अब भी दवाईयों का डब्बा।

क्या कमाल नहीं, तुमने दिखला दिए
आविष्कारों से उजियारे ला दिए।

देखना बुझे न विश्वास के दीये
मैं भी खुशियां के जलाऊं दीये।

अरे क्यों आपस में लड़ते हो
किससे होड़कर जलते हो।
लड़ना ही है तो निःशक्तता से लड़ो
सच्चे इंसान बन आगे बढ़ो।

बस एक ही सवाल मुझे है सालता
कब दूर होगी दुनिया से विकलांगता।

जीवन को वरदान बना दो
मुझको भी हंसना सिखा दो।

हे महान वैज्ञानिक! न बनो तुम आलसी
इस धरा से दूर भगा दो सेरेब्रल पाल्सी।

इस दुनिया से मिटा दो सेरेब्रल पाल्सी।।

स्वरचित—- आशीष श्रीवास्तव, भोपाल मप्र

Language: Hindi
514 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

पंख
पंख
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
ज़ब्त  की जिसमें हद नहीं होती
ज़ब्त की जिसमें हद नहीं होती
Dr fauzia Naseem shad
हाकिम तेरा ये अंदाज़ अच्छा नही है।
हाकिम तेरा ये अंदाज़ अच्छा नही है।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
कबीर क समाजदर्शन
कबीर क समाजदर्शन
Rambali Mishra
कह मुकरियां
कह मुकरियां
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
संत गाडगे महाराज
संत गाडगे महाराज
Dr Azad
विचित्र
विचित्र
उमा झा
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पागलपन की हदतक
पागलपन की हदतक
ललकार भारद्वाज
ഋതുമതി
ഋതുമതി
Heera S
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
ग़ज़ल _ छोटी सी ज़िंदगी की ,,,,,,🌹
Neelofar Khan
गिरगिट माँगे ईश से,
गिरगिट माँगे ईश से,
sushil sarna
गउँवों में काँव काँव बा
गउँवों में काँव काँव बा
आकाश महेशपुरी
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
Chaahat
*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
*वृद्ध-जनों की सॉंसों से, सुरभित घर मंगल-धाम हैं (गीत)*
Ravi Prakash
आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अप
आप ज्यादातर समय जिस विषयवस्तु के बारे में सोच रहे होते है अप
Rj Anand Prajapati
सपने टूटेंगे... 'एक बार' नहीं 'दो बार' नहीं बल्कि 'कई बार...
सपने टूटेंगे... 'एक बार' नहीं 'दो बार' नहीं बल्कि 'कई बार...
पूर्वार्थ
" इरादा "
Dr. Kishan tandon kranti
जिनके हाथों में है महफूज़ न कश्मीर मेरा
जिनके हाथों में है महफूज़ न कश्मीर मेरा
Shweta Soni
अंगद उवाच
अंगद उवाच
Indu Singh
*अदृश्य पंख बादल के* (10 of 25 )
*अदृश्य पंख बादल के* (10 of 25 )
Kshma Urmila
देश की अखंडता
देश की अखंडता
C S Santoshi
"कैद"
ओसमणी साहू 'ओश'
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
2977.*पूर्णिका*
2977.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऑपरेशन सिंदूर
ऑपरेशन सिंदूर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
Ajit Kumar "Karn"
Right to select
Right to select
Shashi Mahajan
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक गलती जिसका आरंभ धर्म से जुडा है
एक गलती जिसका आरंभ धर्म से जुडा है
Mahender Singh
Loading...