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30 Apr 2019 · 1 min read

गर्मी और बीवी (हास्य कविता)

दिनांक 30/4/19

बीबी ने कहा:
गुस्से से
“है गर्मी उफान पर
मत लो पंगा मुझ से
ऐसी लू चलाऊगी
हो जाओगे
चित चारों खाने

वैसे ही पारा 43 डिग्री
लिया पंगा तो
हो जाएगा 53 डिग्री
दिमाग जलेगा
जब धू धू कर
छू न सकोगे
मुझे फू फू कर

करना हैं काम
सारे तुमको
मुझ को बस
लगे प्यारा
कूलर घर में

लाओ दूध , सब्जी और
छोड़ने जाओ बच्चों को
जाओ फिर तुम आफिस।”

देख बीवी का रूख कड़ा
हाथ जोड़ पति खड़ा
करे विनती सूर्य देव से :
“बंद करो
ये अत्याचार
वैसे ही आजकल बीवी है
दैत्याकार ”

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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