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29 Apr 2019 · 1 min read

मुक्तक !

इस चुनावी मौसम में कुछ अलग कर के देख
राम-रहीम नहीं, अपनी जेब को टटोल के देख

तू दूसरों के फ़र्जी वादों को चुप-चाप न सुन
अपनी हालात को एक बार उलट-पलट के देख

जो इस से भी काम न चले,तो अपने दिल में झांक के देख
गाय, गंगा करने वालों के खून लगे हांथो को जरा पलट के देख !
***
29-04-2019
… सिद्धार्थ…

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