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28 Apr 2019 · 1 min read

आया आया झुम के नया साल चुमके

आया आया झूम के,नया साल चुमके
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आया आया झूम के,नया साल चुमके।
पुरानी दुःख भुलाके, नयी सुख लाके।
नए साल में कुछ ऐसे बदलाव कर,
आगे बढ़ने में छोड़ना ना कोई कसर।
मम्मी पापा,भाई बहन,
बेटी बेटा,सभी हो एकजुट।
प्यार की इस बंधन,
कसकर बांध दो न जाय छूट।
आया आया झूम के,नया साल चुमके।
नए दौर में, नयी उमंगे,
कुछ कर दिखा जा रे बंदे।
समय खोओगे तो,समय खो देगा।
कुछ नी कर पाओगे तो,बाद में पछताएगा।
आया आया झूम के,नया साल चुमके।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
‌8120587822

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