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27 Apr 2019 · 1 min read

मुक्तक

खुद जलते हो विरह वेदना में, हमें भी जलाते हो,
रूठकर हमसे तुम भी अकेले में आंसू बहाते हो,
मिलकर चलते हैं राही,मंजिल समान हो जिसमे,
बेरुखी नाराजगी छोड़ो, हम दोनों ही नुकसान है इसमें!!!

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