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26 Apr 2019 · 2 min read

एक मतदान से देशनिर्माण

मेरे गांव में फिर से गाड़ियों कि कतारे आना शुरू हो गई है । ऐसा लग रहा है शायद चुनाव आ गए है । नेता जी फिर से गाँव के बड़े-बुढ़ो से आशीर्वाद लेने निकले है । इससे पहले भी इस प्रकार की धटनाये होती रही है । पिछले चुनाव के बाद से अब जा कर नेता जी को फिर जनता की याद आई है । इससे पहले जब नेता जी आये थे बड़े बड़े वादे करके गये थे। लेकिन वो वादे अभी तक पूरे नही हो पाए है । लेकिन इस बार नेता जी नये वादे लेकर आये है । लेकिन भोली-भाली जनता हर बार यह मानकर कर यकीन कर लेती है की शायद अबकी बार गांव से शहर तक पक्की सड़क बन जाएगी, शायद अब मेरे गाँव मे अस्पताल बन जाये , शायद इस बार मेरे गाँव मे विद्यालय खुल जाए अब से गांव के बच्चों को दूर पड़ने* न जाना पड़े ,शायद अब बीमारी से किसी का घर न उजड़े । शायद ……… शायद…..
इस उम्मीद में की शायद कोई नेता ऐसा आएगा जो विकाश के काम करें लेकिन हम क्या किसी भी नेता को इस उम्मीद से चुन लेगे कि शायद वो काम करेगा ? नही! कोई भी नेता जिसे हम चुनते है वो जनता का प्रतिनिधि होता है । जनता कि समस्याओं से सत्ता में बैठी सरकार को अवगत कराना उसका कर्तव्य है। जिसके लिए उसे सरकार द्वारा बेतन मिलता है । उसे हम चुनते है उससे कोई भी विकास के काम करना हो तो हम उसके आगे हाँथ क्यो जोड़ते है ? क्या वो हमारे काम करके कोई उपकार कर रहा है ? क्यो चुनाव जीतने के बाद उसके पास हमसे मिलने का समय भी नही निकाल सकता ? हमे इस तरह के नेता को नही चुनना है ,जो हमारे द्वारा चुना जाता है और हमारे लिए कुछ नही कर सकता है। हमारे एक मत की कितनी शक्ति है इसका अंदाज़ा तो हम नही लगा सकते है । हमारे इस एक मत का हमे सही उपयोग करना है एक मत का महत्व कई विद्वनो ने अपने अनुसार अलग अलग उदाहरणों दे कर बताया है । लेकिन आप स्वमं ही सोचिये अपने मत का क्या महत्व है । हमारा एक मत एक अच्छी या बुरी सरकार चुनेगा । सरकार जो अगले पाँच साल के लिए सत्ता में रह कर देश का विकास करे । जनता कल्याण करे इसके साथ जिसके पास देश का संचालन करने कि शक्ति हो जो सही निर्णय ले सके । हमारा एक मत देश की और हमारी सुरक्षा भी करेगा । हमारा एक मत देश के विकास में सहयोग करेगा । हमे अपना मत अच्छे , सच्चे , ईमानदार ,कर्मठ नेता को देना चाहिए। जो इन सभी कसोटी पर खरा उतर सके ,हमारे विश्वास पर खरा उतरे ।

“मतदान हमारा अधिकार ही नाही परम् कर्तव्य भी है इस कर्तव्य को हमे निभाना है ” – भगीरथ प्रजापति

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