Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2019 · 8 min read

मां के प्रति हम सबका कर्तव्य

आज मैं सोचा रहा था और सोचते वक्त लगा कि शायद मां इस धरती पर हर एक मानव को पांच रूपों में स्पष्ट रूप से दर्शन देती हैं। इस आधार पर मैं कहां कि इस धरती पर मां पांच प्रकार की हैं। जो हमें सदा सहायता करती है। यह बातें जानने के लिए आप बहुत उत्साहित होंगे की ये पांच प्रकार की मां है तो कौन सी है?

हम लोग जानते हैं कि पांच मां होती है, जो जब हम इस मृत्यु लोक में जन्म लेते हैं तब से लेकर मरने तक ये हमारी पांचों मां हमें हमेशा सुरक्षा कवच के रूप में हमारी सुरक्षा करती हैं। हमें ये कभी भी दुखी देखना नहीं चाहती है। तो क्या यह हमारा कर्तव्य नहीं बनता है कि हम अपनी मां की सेवा करें? हां, हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम अपनी मां की सेवा हमेशा करते रहे। तब हमारे पास यह प्रश्न खड़ा हो जाता है कि सेवा तो करें, पर किस प्रकार से सेवा करें? और ये कौन सी पांचों मां हैं?

ये पांचों मां को हम लोग जानते हैं, ये पांचों मां हमारे आस पास ही है, पर हम उस पर कभी ध्यान ही केंद्रित नहीं कर पाते हैं। तो आज ही ये बता देते हैं कि ये पांचों मां कौन सी हैं? किस प्रकार सेवा करना चाहिए और कैसे करना चाहिए?

तो इन पांचों मां में पहली मां वह है जो हमें जन्म देती है। जिसे हम जन्मदात्रि मां या जानकी मां कहते है। जब हम अपनी मां के पेट से बाहर इस मृत्युलोक में किसी की गोद में आते हैं तो सबसे पहले धरती मां की गोद में आते हैैं। धरती मां की गोद में आते ही क्यांव – क्यांव करने लगते हैं, उस समय कितनी दर्द भरी पीड़ा वह सहती है जो हमें जन्म देती है।

दूसरी मां ओ धरती मां है, जो हमें सबसे पहले गोद में लेती है और अंतिम बार भी गोद में लेती है। जब हम मर जाते हैं तो उस वक्त कोई भी अपने गोद में नहीं लेता है, पर वहीं धरती मां अपने गोद में सुलाती है और जिंदगी में जितना हम क्रिया कर्म करते हैं, वह सब धरती मां पर ही करते हैं। जिस प्रकार हम अबोध बालक के रूप में हम अपनी मां की गोद में मल मूत्र कर देते हैं तो मां हमें साफ-सुथरा करके तब खुद अपने आप को साफ सुथरा करती है और फिर से गोद में ले लेती है, न कि हमें डांटती है। उसी प्रकार अबोध से सुबोध हो जाने तक जो हम इस धरती मां पर मल मूत्र करते हैं तो वो सहन कर लेती है, न की डांटती – फटकारती है। चाहे हम जिंदगी में कितनाहू क्यों ना बड़ा हो जाए, पर मां के आंचल के नीचे ही रहते हैं।

तीसरी मां वह है, जो जन्म के छठे दिन आती है, हमें स्नान कराने के लिए, जो गंगा मां है। जब हम धरती पर जन्म लेते हैं तब से हम अशुभ रहते हैं पर जब गंगा मां आकर हमें स्पर्श कर जाती है, तब से हम शुभ रहने लगते हैं। जिस प्रकार कृष्ण भगवान को जब तक गंगा (यमुना) मां स्पर्श न की तब तक वह वासुदेव जी को जल में डुबोती रही। वह भी मां चाहती है कि हमारा पुत्र, हमारा लाल कभी भी गंदगी में न रहे और कभी भी प्यासा ना रहे। इस तरह भी हमारी मां जिंदगी भर साथ देती रहती है।

उसी प्रकार चौथी मां वह “गौ मां” है जो किसी कारण बस मेरी वह मां जो जन्मदात्री है उनके स्तन से दूध नहीं उतरता है, तब उस वक्त ये गौ मां अपना दूध देकर हमें पालती है। कहा गया है कि एक मां की ममता दूसरी मां की ममता से बहुत मिलती है जैसे कि यह गौ मां अपने दूध से अपने बछड़ा को भी पालती है और हम सभी को भी पालती है। उस मां की दूध को हम पीते हैं जिस मां के अंदर तैंतीस करोड़ देवी – देवताओं की बास होती हैं।

पांचवी मां वह मां है जो जन्म देने वाली “जन्मपत्री मां” जिंदगी भर साथ देने वाली “धरती मां” पेय जल के रूप में सींचने वाली “गंगा मां” और अमृत जैसा दूध देने वाली “गौ मां” की ममता से बनी मां “भारत मां” है जो एक तरह से धरती मां का स्वरुप ही माना जाता है। जो हमेशा चाहती है कि मेरा पुत्र – मेरा लाल इस राष्ट्र का राजा बना रहे, दूसरा कोई इस राष्ट्र पर अपना धाक न जमावे और वह हमेशा चाहती है कि हमारा पुत्र पूरे विश्व में अपना ऐसा प्रतिबिंब छोड़े, ताकि पूरे विश्व में भारत और उन महान पुत्र को याद किया जाए जैसे कि वर्तमान भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। जिसे पूरे विश्व में उनको याद किया जा रहा है कि मेरे देश में भी ऐसा ही प्रधानमंत्री हो और तो और भारत में उन वीर जवानों की रक्षा हमेशा करती है, जो वीर जवान देश की सीमाओं पर हमेशा तैनात रहते हैं और उन्हीं के तैनाती से पूरे भारत के लोग चैन की नींद सोते हैं। जिन्हें भारत मां अपने गोद में सुलाती है, अपने आंचल की छांव में रखती है चाहे कितनाहू ठंडी हो या गर्मी हो, पर भारत मां अपने पुत्रों की रक्षा हमेशा करती रहती है। तो क्या हमें अपनी मां की रक्षा नहीं करनी चाहिए? करनी चाहिए न! करनी चाहिए तो किस प्रकार और कैसे करनी चाहिए?

आप ही सोचिए यदि किसी दिन आप किसी चौक चौराहे पर जाते हैं तो नाश्ता करते हैं, पान खाते हैं, हुजूर खाते हैं, खैनी खाते हैं, बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि पीते हैं। यदि एक दिन का खर्चा आप जोड़ते हैं तो कम से कम सौ – दो सौ रुपए खर्च हो जाते हैं। जो आपके जीवन के लिए लाभदायक नहीं बल्कि हानिकारक है। यदि आप इस सौ – दो सौ रुपए को रोज के रोज अपने घर में बैठी बूढ़ी मां के आंचल में रखते हैं, तो आपकी इसी छोटी सी खर्च से आपकी बूढ़ी मां का जीवन अच्छे से व्यतीत होगा। जो आपकी मां आपके लिए हमेशा भगवान से प्रार्थना करती है कि हे भगवान मेरे पुत्र को ऐसा आशीर्वाद देना कि मेरा पुत्र जीवन में कभी भी अपने आप को दुखी तथा अकेला ना समझें।

यदि आप अपनी मां की सेवा उस श्रवण कुमार की जैसा नहीं कर सकते है तो इतनी सी छोटी सेवा तो करें। जिससे आपको और आपके परिवार को जिंदगी में किसी भी प्रकार के दुख महसूस नहीं होगा तथा कई प्रकार से आपको लाभ प्राप्त होंगे जैसे पहला लाभ आपको यह मिलेगा कि आप इसी बहाने हुजूर, पान, शराब आदि खाना पीना छोड़ देंगे। जिससे आपकी शरीर को लाभ प्राप्त होगा और आप जिंदगी में अपने आप को स्वस्थ महसूस करेंगे। इसी बहाने आपको अपनी मां का सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होगा और जो रोज के रोज अपनी मां के आंचल में सौ – दो सौ रुपए रखते हैं, उससे आप की बूढ़ी मां अपनी दवा – दारू खरीद सकती है। इस दवा – दारू के बाद जो रुपए आपकी मां के पास बचेगा, तो वह रुपया आपकी मां आपके परिवार के लिए ही खर्च करें देगी। जिससे आपके शरीर को कोई हानि नहीं होती है। इसी को कहते हैं स्वस्थ परिवार, सुखी परिवार और खुशी परिवार।

दूसरी मां जो धरती मां है। जो इस मां से भी कम नहीं जिसके शरीर पर हम सब जन्म से मरण तक जिंदगी जीते हैं। तो इस मां का भी सेवा करना मेरा कर्तव्य बनता है, तो इस मां की सेवा कैसे करें? इस मां की सेवा करने के लिए हमें सबसे पहले सफाई पर ध्यान देना चाहिए, जो हम अपने घर के आसपास की सफाई, धार्मिक स्थलों तथा विद्यालयों की सफाई कर के सेवा कर सकते हैं। यदि कहीं ज्यादा कूड़ा कचरा हो जाता है तो उसे आग से जला देना चाहिए या मिट्टी में गाड़ देना चाहिए। हम सभी को मिलकर यह भी ध्यान देना चाहिए कि कोई खुला में शौच ना करें और अपने – अपने घर शौचालय बनवाए, जिससे हम अपने घर की इज्जत अपने घर में रख सके। इसके साथ – साथ हम सब को आधुनिक तकनीकी की सहायता से खेती को हरे-भरे बनाए रखें, जिससे हम अपनी धरती मां के शरीर पर पीले – पीले सरसों के फूल, नीले – नीले तीसी के फूल, उजले – उजले बकला के फूल और लह लहाते धान, गेहूं आदि के वर्षा हम बरसाएं।

तीसरी मां “गौ मां” जिसकी सेवा करना हम सभी मानव के अंदर एक मंसूबा होनी चाहिए। यदि गौ मां बूढ़ी हो जाए तो इसे कसाईयों के हाथों नहीं बेचना चाहिए और कसाईयों को भी ध्यान देना चाहिए कि गौ मां का हत्या नहीं करना चाहिए। क्योंकि गौ मां हम सभी की मां है किसी को बांटती नहीं है। यदि बांटती तो केवल एक ही धर्म के लोगों को दूध देती और एक ही धर्म के लोगों को दूध पीने की आदेश देती लेकिन वह ऐसा कुछ भी नहीं करती है। आपने देखा होगा की जब हिंदू हो, मुस्लिम हो, सीख हो, ईसाई हो अन्यथा अन्य धर्म के बच्चे जन्म लेते हैं और किसी कारण बस उनकी मां की कोख से दूध नहीं उतरता है तो उस समय यही गौ मां उन सभी बच्चों को अपनी दूध पिलाकर पालती है। तो क्या गौ मां धर्म – धर्म को बांटती है? नहीं न! तो हमें क्यों इस मां को अकेला छोड़ना चाहिए? इस मां की सेवा तो हम सभी धर्मों को मिलकर करनी चाहिए।

चौथी मां ये “गंगा मां” है जो धरती पर जन्मे हर एक जीव जंतुओं की प्यास मिटाती रहती है, इसके साथ पेड़ पौधों की भी प्यास मिटाती है, खेत में लगे फसलों को अपने जल से सींचती है। तो क्या हमें इनकी स्वच्छता पर ध्यान नहीं देना चाहिए? देना चाहिए! गंगा मां की जल की सफाई करनी चाहिए। गंगा जल की सफाई करने से ही हमें स्वच्छ जल मिलेंगे, जिससे हम स्वस्थ रहेंगे। जल से होने वाले अनेक प्रकार की बीमारी हमें संपर्क नहीं कर पाएंगी। जिससे हम “स्वच्छ भारत – स्वस्थ भारत” राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। कहा गया है कि “जल ही जीवन है” यदि जल ही स्वच्छ एवं स्वस्थ नहीं रहे, तो इस धरती पर कोई भी जीव जंतु स्वस्थ नहीं रह पाएंगे। इसलिए हमें गंगा जल की सफाई करनी चाहिए। इस सफाई को स्वयं से और सब के साथ मिलकर करनी चाहिए।

इसी प्रकार सभी मां के ममता से बनी “भारत मां” की भी रक्षा करनी चाहिए। जिसमें हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हिंदुस्तान में रह रहे हम सभी धर्मों को मिलकर इस हिंदुस्तान देश की रक्षा करनी चाहिए और हमें ऐसी एक विशाल शक्ति के रूप में उभरना चाहिए कि हमारे जीते जी कोई माई के लाल मेरे देश पर पूरा नजर ना डाल सके। अंततः हम कहेंगे कि मां जीवन की हर पहलू पर सहायक होती है उस मां को कभी भूले नहीं।

“सर कट जाए तो कट जाए पर सर झुकता नहीं।
ए हिंदुस्तानी फौज मर जाए पर पीछे हटता नहीं।।”

लेखक – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 836 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जय लगन कुमार हैप्पी
View all

You may also like these posts

स्वयम हूँ स्वयम से दूर
स्वयम हूँ स्वयम से दूर
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
3292.*पूर्णिका*
3292.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझको कभी भी आजमा कर देख लेना
मुझको कभी भी आजमा कर देख लेना
Ram Krishan Rastogi
तहक़ीर
तहक़ीर
Shyam Sundar Subramanian
कड़वा करेला
कड़वा करेला
Jyoti Pathak
जन्मदिन की हार्दिक बधाई (अर्जुन सिंह)
जन्मदिन की हार्दिक बधाई (अर्जुन सिंह)
Harminder Kaur
प्रेम की परिभाषा विलग
प्रेम की परिभाषा विलग
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
गणित का सत्य
गणित का सत्य
Dr. Vaishali Verma
संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है
संघर्ष हमेशा खाली पन में ही अक्सर होता है
पूर्वार्थ
लाख बुरा सही मगर कुछ तो अच्छा हैं ।
लाख बुरा सही मगर कुछ तो अच्छा हैं ।
अश्विनी (विप्र)
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
sushil sarna
अंत में कुछ ठीक नहीं होता
अंत में कुछ ठीक नहीं होता
पूर्वार्थ देव
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
कागज कोरा, बेरंग तस्वीर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जीवन में बाधाएं होंगी
जीवन में बाधाएं होंगी
Suryakant Dwivedi
व्याकुल मन की व्यञ्जना
व्याकुल मन की व्यञ्जना
हिरेन जोशी
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
Manisha Manjari
कहते हैं हमें
कहते हैं हमें
Mahesh Tiwari 'Ayan'
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
🙅FACT🙅
🙅FACT🙅
*प्रणय प्रभात*
होली मैया जीवन के कलुष जलाओ
होली मैया जीवन के कलुष जलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुसीबत में घर तुम हो तन्हा, मैं हूँ ना, मैं हूँ ना
मुसीबत में घर तुम हो तन्हा, मैं हूँ ना, मैं हूँ ना
gurudeenverma198
जल बचाओ एक सबक
जल बचाओ एक सबक
Buddha Prakash
रुझान।
रुझान।
Kumar Kalhans
गरीबी
गरीबी
Neeraj Mishra " नीर "
क्या ये पागलपन है ?
क्या ये पागलपन है ?
लक्ष्मी सिंह
दर्द को दिल में छुपाये
दर्द को दिल में छुपाये
संजय निराला
बे-असर
बे-असर
Sameer Kaul Sagar
*शक्ति आराधना*
*शक्ति आराधना*
ABHA PANDEY
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
क्यों छोड़ गई मुख मोड़ गई
Baldev Chauhan
फल और मेवे
फल और मेवे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
Loading...