Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2019 · 1 min read

दीप और बाती

लौ
उसकी
यूँ देखी इठलाती
तो पूछा उठा दीप
री बाती
तू क्यूँ इतना इतराती
श्रयण तो दिया है मैंने ही
तुझे अपने अंतस में
वरना
तेरा क्या मोल
वर्तिका कुछ झूमी
किया नर्तन कटि बलखाई
तनिक विहंसि और
जोर से जगमगाई
बोली
रे दीपक सुन
यह विस्तीर्ण शुभ्र उजास
है देख रहा
तू चाहे तेल में जाए डूब
या सारा तेल
हो जाए तुझमें समर्पित
किन्तु
बिन मेरे साथ के
क्या तुम में है इतना दम
जो रोशन कर जाए घर को
मैं
करती हूँ त्याग
जलकर
देती हूँ समर्पण मिटकर
तभी
हो पाता विनष्ट अंधकार
तू भी छोड़ अंह
रह खुशी खुशी मेरे संग
कर प्रदीप्त
प्रकाश का संसार।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
306 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ग़ज़ल- कभी रुलाती है ज़ख़्म देकर.....
ग़ज़ल- कभी रुलाती है ज़ख़्म देकर.....
आकाश महेशपुरी
"विजयादशमी"
Shashi kala vyas
11 .अंधेरा उजाला
11 .अंधेरा उजाला
Lalni Bhardwaj
हर बात छुपाने की दिल से ही मिटा देंगे ....
हर बात छुपाने की दिल से ही मिटा देंगे ....
sushil yadav
"जो कुछ भी हो, जीवित रहो।
पूर्वार्थ
3245.*पूर्णिका*
3245.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घनाक्षरी
घनाक्षरी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
Atul "Krishn"
एक सड़क जो जाती है संसद
एक सड़क जो जाती है संसद
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
कौन नहीं बदला _
कौन नहीं बदला _
Rajesh vyas
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
उधड़ता दिखते ही तुरंत सिलवा लीजिए। फिर चाहे वो जूता हो, कपड़ा
*प्रणय प्रभात*
मोबाइल ने छीनी रूबरू मुलाकातें
मोबाइल ने छीनी रूबरू मुलाकातें
ओनिका सेतिया 'अनु '
माता की ममता
माता की ममता
अवध किशोर 'अवधू'
नैसर्गिक जो भी रहे, कर्म दिये सम्मान।
नैसर्गिक जो भी रहे, कर्म दिये सम्मान।
संजय निराला
गाड़ी मेरे सत्य की
गाड़ी मेरे सत्य की
RAMESH SHARMA
जिंदगी को बोझ मान
जिंदगी को बोझ मान
भरत कुमार सोलंकी
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
Ranjeet kumar patre
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
नज़र बूरी नही, नजरअंदाज थी
संजय कुमार संजू
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
मैं
मैं
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
" जोंक "
Dr. Kishan tandon kranti
!! फूलों की व्यथा !!
!! फूलों की व्यथा !!
Chunnu Lal Gupta
तुम्हारी बातें
तुम्हारी बातें
Jyoti Roshni
88BET KRD – Link vào nhà cái 188BET trang cá cược hàng đầu
88BET KRD – Link vào nhà cái 188BET trang cá cược hàng đầu
88betkrd
तुम क्रोध नहीं करते
तुम क्रोध नहीं करते
Arun Prasad
"माला"
Shakuntla Agarwal
क्षणिका :
क्षणिका :
sushil sarna
गंगा (बाल कविता)
गंगा (बाल कविता)
Ravi Prakash
खुशियों की जब लंबी कतारें होती हैं
खुशियों की जब लंबी कतारें होती हैं
Shweta Soni
नर्स और अध्यापक
नर्स और अध्यापक
bhandari lokesh
Loading...