Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Mar 2019 · 1 min read

बाल गीत

उठो सुतक्कड़ !

उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया
चिडियों के घर
शोर हो गया

ओस चली है गंग नहाने
शंकर जी को दूध चढ़ाने
मगन घाट का छोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

पेड़ों के हैं पत्ते जागे
पंजे-छक्के सत्ते जागे
मौसम भी कुछ मोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

बाँस लगे हैं बीन बजाने
ईख चली है परची लाने
दौड़ा-दौड़ी ठोर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

आगा-तागा आगे आओ
कुंभकर्ण को कुछ समझाओ
सूरज ऊपर ओर हो गया
उठो सुतक्कड़ !
भोर हो गया

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
693 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
Subhash Singhai
चकाचौंध की दुनियां से सदा डर लगता है मुझे,
चकाचौंध की दुनियां से सदा डर लगता है मुझे,
Ajit Kumar "Karn"
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🎉 🎉 🎉
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं 🎉 🎉 🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये भारत न रहा..
ये भारत न रहा..
मनोज कर्ण
मान हो
मान हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कारगिल विजय दिवस
कारगिल विजय दिवस
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तगाफुल 2026
तगाफुल 2026
AJAY PRASAD
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा।
कर रहे नजरों से जादू उफ़ नशा हो जाएगा।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
Keep On Trying!
Keep On Trying!
R. H. SRIDEVI
दिल में उत्तेजना और उम्मीदें ज़र्द हैं
दिल में उत्तेजना और उम्मीदें ज़र्द हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय प्रभात*
*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी
*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी
Ravi Prakash
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
आत्मा परमात्मा मिलन
आत्मा परमात्मा मिलन
Anant Yadav
अन्नदाता
अन्नदाता
Akash Yadav
"आय और उम्र"
Dr. Kishan tandon kranti
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
सामाजिक दर्द
सामाजिक दर्द
Suryakant Dwivedi
* पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*
* पिता पुत्र का अनोखा रिश्ता*
पूर्वार्थ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
Bhupendra Rawat
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
दीपक बवेजा सरल
जो कहना है
जो कहना है
DrLakshman Jha Parimal
प्रकृति का दर्द– गहरी संवेदना।
प्रकृति का दर्द– गहरी संवेदना।
Abhishek Soni
जब आप किसी में कुछ अच्छा देखते हैं तो उन्हें बताएं, यह कहने
जब आप किसी में कुछ अच्छा देखते हैं तो उन्हें बताएं, यह कहने
ललकार भारद्वाज
THE SUN
THE SUN
SURYA PRAKASH SHARMA
"आँखरी ख़त"
Lohit Tamta
कहां जायेंगे वे लोग
कहां जायेंगे वे लोग
Abhishek Rajhans
कुंडलिया. . . प्यार
कुंडलिया. . . प्यार
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
seema sharma
Loading...