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26 Mar 2019 · 1 min read

मुक्तक

ख़ुद पुकारेगी जो मंज़िल तो ठहर जाऊँगी
वरना ख़ुद्दार मुसाफ़िर हूँ गुज़र जाऊँगी,
आँधियों का मुझे क्या ख़ौफ़ मैं पत्थर हूँ
रेत का ढेर नहीं हूँ जो बिखर जाऊँगी

Language: Hindi
300 Views
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