Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2019 · 3 min read

राजनीति क्या है?

असंभव के विरुद्ध
अनुशासन, अभ्यास, अनुभूति और अनुभव आधारित अलख

स्वर्गीय कल्पेश याग्निक को अपनी प्रेरणा मानकर उनके प्रति मेरी श्रद्धांजलि स्वरूप यह लेख समर्पित है।अगर मैं उनके गुणों और विचारों को स्पर्श भी करुं तो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा।अपने भीतर पत्रकारिता की अलख जगा के उनके ही श्रीचरणों में मेरा यह लेख अर्पित है।
उनकी आत्मा मुझे मार्ग, दिशा, सार्थकता और सटीकता का पथ प्रदर्शित करे।
ऐसी आशा के साथ
आपके समक्ष उपस्थित हूँ।
मेरा विषय”राजनीति”है
तो आइए प्रारंभ करें।
राजनीति क्या है?-सात वर्णों(3स्वर+4व्यंजन)के संयोग से निर्मित शब्दकोश का एक मात्र शब्द है।
राजनीति क्या है?-रा-राजगद्दी पर बैठो।
ज-जनता का शोषण करो।
नी-नियम को तोड़ो।
ति-तिजोरी अपनी भरो।
राजनीति रा(राजगद्दी)से आरंभ होकर ति(तिजोरी)पर आकर समाप्त हो जाती है।
राजनीति क्या है?-राजनीति का शाब्दिक अर्थ राज करने की नीति होता है।
राजनीति क्या है?-सत्ता और शासन में राज करने की एक कुशल नीति का नाम है।
राजनीति क्या है?-राजाओं(जनप्रतिनिधियों)द्वारा सत्ता को चलाने के लिए और देश को विकसित करने के लिए बनाई गई नीति(नियम)का संग्रह है या स्व विकास की अद्भुत नीति है।
राजनीति क्या है?-देशसेवा-जिसका देश की सेवा से कोई लेना देना नहीं है।सरोकार नहीं है।साक्षात नहीं है।केवल देशसेवा की मिथ्या उपाधि है।
राजनीति क्या है?-एक व्यवसाय-जिसमें एक बार निवेश करने के बाद मनवांछित लाभ(घोटाला करके)से सम्पत्ति का निर्माण करने की अद्भुत प्रक्रिया है।जिसका उत्पादन नागरिकों के करों से प्राप्त किया जाता है।जिसमें हानि की संभावना न के समान है।
राजनीति क्या है?-एक नौकरी-जिसमें एक बार शपथ ग्रहण करके कार्यकाल तक वेतन और सेवानिवृत्त होने के पश्चात आजीवन पेंशन प्राप्त करने की योजना है और शासकीय सेवाओं पर कार्यरत कर्मचारियों को पेंशन की सुविधा से वंचित रखना।
राजनीति क्या है?-एक पद-जिसमें विराजमान हो कर शक्तियों से सक्षम बन कर अनैतिक कार्यों को सम्पादित करने का सुनहरा अवसर।
राजनीति क्या है?-परोपकार-अपने परिजनों को उत्तम स्थिति में पहुंचाने का सुलभ माध्यम और उनको लाभांवित करने का सर्वश्रेष्ठ साधन है।
राजनीति क्या है?-भ्रम-जिसमें शब्दों का भावनाओं से और भावनाओं का शब्दों से कोई सामन्जस्य नहीं होता।(कथनी और करनी में अंतर)
राजनीति क्या है?-छल-जिसमें जनता को सुनहरे सपने दिखाकर, झूठे आश्वासनों से भर कर, मिथ्या भाषण से संबोधित करके, मुंगेली लाल के स्वप्न दे के,आशा की अलख जगा के पूर्णतः छल लिया जाता है।
राजनीति क्या है?-लोकतंत्र है, राजतंत्र है, परिवारतंत्र है, तानाशाही है, वंशवाद है, भाई-भतीजा वाद है।
राजनीति क्या है?-क्रय(खरीदी)-जिसमें मतदाताओं के मत का क्रय उसकी इच्छानुसार राशि प्रदान करके सत्ता का निर्माण किया जाता है।
राजनीति क्या है?-देशभक्ति का ढोंग-जो उन अमर शहीदों से ज्यादा किमती है जो अपनी जान दे कर इस देश के शान की रक्षा करते हैं और मान बढ़ाते हैं और अपनी देशभक्ति का प्रमाण देश को देते हैं।
राजनीति क्या है?-बुराई-जिससे समाज में विभिन्न प्रकार की कुरीतियां जन्म लेती हैं।समाज में आपसी वैमनस्य तथा प्रतिद्वंदता का उद्गम होता है।बैर की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
राजनीति क्या है?-देश के विभिन्न धर्म, सम्प्रदाय, समाज, पंथ,वाद के मध्य विवाद की स्थिति उत्पन्न कर स्वयं का लाभ साधने की फूट डालो और शासन करो की गिरी हुई गंदी नीति है।
राजनीति क्या है?-एक अभियान-जिसमें निःस्वार्थ भावना से देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान प्रदान करना जो देश की दिशा और दशा के उन्नत मार्ग को खोलता है।
नहीं, नहीं गलत हो गया।ये मैं गलती से लिख दिया हूँ।क्षमा चाहता हूँ।ऐसा तो हो ही नहीं सकता।ये आखिर वाला तो काल्पनिक है इसका वास्विकता से कोई लेनादेना नहीं है।
अगर आप पढ़ भी लिए हों तो भूल जायें इतने “अच्छे दिन”नहीं आयें हैं और मैं माफी मांगना चाहता हूँ जो मैंने ऐसी गलत बात लिख दी और आपने ऐसी गलत बात पढ़ ली।

मेरे इस लेख का उद्देश्य राजनीति को नीचा दिखाना नहीं है लेकिन जो दिखा रहा हूँ उसका तो स्तर ही नीचा है।क्या करुं?
इसमें मेरा कोई अपराध नहीं है।
कहते हैं-मोहब्बत और सियासत में सब जायज है।
तो सबसे पहले लात उसको मारना चाहिए जिसने यह कहा।
वरना इस चर्चा की कोई जरूरत नहीं है सरकार।
अब आप निर्णय लिजिएगा राजनीति क्या है?
ये देश आपका भी है और मेरा भी
मैंने अपना कर्तव्य निभाया और अब आपकी बारी है
अब देखना है -जोर कितना बाजुए कातिल में है और किस-किस महफिल में है।
असंभव कुछ नहीं केवल आपको असंभव के खिलाफ खड़ा होना होगा।
सोचिएगा आप किस तरफ हैं मेरी तरफ या मेरे खिलाफ
जय हिंद,जय भारत, जय राजनीति
चलता हूँ।
आप सभी का धन्यवाद।
अब जाग जाइए कृपा निधान
आप सुन रहे है मेरी जबान-ये आदित्य की ही कलम है श्रीमान

पूर्णतः मौलिक स्वरचित लेख
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 420 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दायित्व
दायित्व
TAMANNA BILASPURI
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
आज की दुनिया ऐसी ज़ालिम है...
Ajit Kumar "Karn"
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
Madhu Gupta "अपराजिता"
गर्मी
गर्मी
Ahtesham Ahmad
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
सत्य कुमार प्रेमी
अजब तमाशा जिंदगी,
अजब तमाशा जिंदगी,
sushil sarna
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
जीवन है अनमोल
जीवन है अनमोल
महेश चन्द्र त्रिपाठी
शरद ऋतु
शरद ऋतु
अवध किशोर 'अवधू'
शीर्षक – #जीवनकेख़राबपन्ने
शीर्षक – #जीवनकेख़राबपन्ने
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
आयना
आयना
Roopali Sharma
प्यार का नाम देते रहे जिसे हम अक्सर
प्यार का नाम देते रहे जिसे हम अक्सर
Swami Ganganiya
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शब्दों से कविता नहीं बनती
शब्दों से कविता नहीं बनती
Arun Prasad
ये इश्क भी जुनून हैं,मुकाम पाने का ।
ये इश्क भी जुनून हैं,मुकाम पाने का ।
Lodhi Shyamsingh Rajput "Tejpuriya"
നിങ്ങളോട്
നിങ്ങളോട്
Heera S
हदों से पार भी , इक खूबसूरत सा  जहाँ देखा,
हदों से पार भी , इक खूबसूरत सा जहाँ देखा,
Neelofar Khan
तेरा दीदार जब नहीं होता
तेरा दीदार जब नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
चेहरा ।
चेहरा ।
Acharya Rama Nand Mandal
अपने सनातन भारतीय दर्शनशास्त्र के महत्त्व को समझें
अपने सनातन भारतीय दर्शनशास्त्र के महत्त्व को समझें
Acharya Shilak Ram
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
Rj Anand Prajapati
तबो समधी के जीउ ललचाई रे
तबो समधी के जीउ ललचाई रे
आकाश महेशपुरी
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
सबकुछ है
सबकुछ है
Rambali Mishra
आई वर्षा
आई वर्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कौन नहीं जानता _
कौन नहीं जानता _
Rajesh vyas
भारतीय समाज
भारतीय समाज
Sanjay ' शून्य'
गोपाल हूं मैं, काल भी
गोपाल हूं मैं, काल भी
Saransh Singh 'Priyam'
गुलाब
गुलाब
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
कभी कभी ये जीवन आपके सब्र की परीक्षा लेता है आपको ऐसी उलझनों
पूर्वार्थ
Loading...