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18 Mar 2019 · 1 min read

कविता

एक इशारा……

हम नही भूलें है अब तक आपके व्यवहार को,
जानते है खूब हम तो आपके परिवार को,

आँख को सपने दिखाए प्यास को पानी,
इस तरह करते रहे, हर रोज़ मनमानी,

शब्द टपकाते रहे दो होंठ से आभार को,
हम नही भूलें है अब तक आपके व्यवहार को,

लाज को घूँघट दिखाया पेट को थाली,
आप तो भरते गये पर हम हुए ख़ाली,

हम भी आखिर कब तलक सहते अत्याचार को,
हम नही भूलें है अब तक आपके व्यवहार को,

पाँव को बाधा दिखाई हाथ को डण्डे,
दे दिए बैनर कभी तो दे दिए झण्डे,

हम तो बस मोहरें ही रह गये जीत और प्रचार को,
हम नही भूलें है अब तक आपके व्यवहार को।

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