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13 Mar 2019 · 1 min read

तू खामोश मुहोबत है

तू खामोश मुहोबत है मै बदनाम सा किस्सा कोई
उनसे यूं मिलना हुआ जैसे अनजान से मिलता कोई

मै तन्हा हूं शायद ये जिंदगी ही बेवफा निकली मेरी
लहरो को भी मिल जाता है वफा का किनारा कोई

हमारी नाव ही सुनामी मे कही ठहर सी गई है शायद
वरना भटकते हुए को मिलता नही क्या सहारा कोई

जो चुप हो जाते है ओर कहते अच्छे वक्त पर आए
वहां यकीनन समझना राज छुपाया है जाता कोई

कोई पूछे गर तेरे बारे मे तो शान से यही कहता हूँ
वो मिला था एक बेमुकद्दर खुशी का हिस्सा कोई

हमारी चाहत मे सादगी और सच्चाई थी भरी हुई
बड़ो से हमेशा ही सुना दिल से बुरा नही होता कोई

ए बेवफा तेरी याद ही अच्छी जो हर पल आती रही
यादो के सिवा लिखने का हमे मिला न जरिया कोई

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