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14 Feb 2019 · 1 min read

ग़ज़ल :– दौलत मिली तो तौर तरीका बदल गया ।

ग़ज़ल :– दौलत मिली तो तौर तरीका बदल गया ।
बहर :– 221-2121-1221-212
रदीफ :- बदल गया
काफिया :– आ
✍? अनुज तिवारी ” इंदवार ”

तहज़ीब ये बदल गई , रुतबा बदल गया ।
दौलत मिली तो तौर तरीक़ा बदल गया ।

कद रंग रूप चाल नज़ाकत मेरी वही ,
फिर आज क्यों ये प्यार तुम्हारा बदल गया ।

मगरूर थे , जवान सदा हसरतें रहीं ,
ठोकर लगी तो आज इरादा बदल गया ।

माथा वही है आज भी सिंदूर वही है ,
माथे पे वो सिंदूर का टीका बदल गया ।

बदले हुए निजाम का अहसास तब हुआ ,
जब दोस्त मेरा आप सरीखा बदल गया ।

सोचा था तेरा प्यार मुकद्दर में नहीं है ,
भगवान मेरे माथे का लेखा बदल गया ।

जिस दौर पे गुरूर जवानी में था बहुत ,
उस दौर का वो आज तो शीशा बदल गया ।

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