Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Feb 2019 · 1 min read

बसन्त

प्रिय,
बसन्त त्योहार, भेजता तुमको पाती,
लहराती गेहूँ की बालें,
फूले सरसों के ये खेत, ,मुझको आज याद हो आती।
इन्हें देख हर्षित होता मन,
ये प्रतीक होते हैं सुख के,
मौन प्रदर्शन करते हैं जो,
मीठे फल होते मेहनत के।

ये सन्देश दे रहे जग को,
शान्ति एकता मेहनत से ही,
सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,
त्याग तपस्या बलिदानों का,
फल सोना उगलेगी धरती।
यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।
पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,
कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,
या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,
राजनीत दल के प्रचार का ,
साधन मात्र मान मत लेना,
यह रंग तो प्रतीक है सुख का,
जो सन्देश दे रहा जग को,
सबका जीवन मंगलमय हो।
सबका जीवन मंगलमय हो।

Loading...