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29 Jan 2019 · 1 min read

महफ़ूज जिन्दगी

मैं तो खुद पर हुकुमत करता हूँ
इसलिए महफ़ूज रहता हूँ
दूसरों पर हुकुमत करने वाले तो
डरे से रहते है

मेरा मौला मेरा सिपहसलार
इसलिए महफ़ूज रहता हूँ
किसी का क्या भरोसा
ज़िन्दा के सर कलम करते है

मैं खुद को ही आईने में देखता हूं
इसलिए महफ़ूज हूँ
किसी की आँखो में झाँकू तो
भरोसा नहीं नेक नियत भी है या नहीं

मेरी जिन्दगी मेरा चरागाह है
इसलिए महफ़ूज रहता हूँ
दूसरे तो जहर खिलाने में ही
मशगूल रहते हैं

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