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22 Jan 2019 · 1 min read

ग़ज़ल

‘नसीहत’

अजब नादान उल्फ़त ने गढ़ी अपनी कहानी है।
लिखा हर हर्फ़ आँसू से ग़ज़ल ही तरजुमानी है।

अभी हर ज़ख्म गहरा है यहाँ ख़ूने तमन्ना का
जुनूने इश्क में घायल हुई ये ज़िंदगानी है।

क़हर तूफ़ान का टूटा मिला सैलाब अश्कों को
फ़ँसी मझधार में कश्ती उमड़ता सिर्फ़ पानी है।

कभी सावन सरीख़े जो लिपटते थे बहारों से
वही ये भूल बैठे हैं नहीं हर रुत जवानी है।

किया दिल चाक खंज़र से मुहब्बत नाम पे जिसने
हयाते पाल ग़म उसका नहीं किस्मत गँवानी है।

बना दी हसरतों को लाश ज़िंदा ही जला डाला
उन्हीं की ज़िंदगी में ख़ार भर नसीहत सिखानी है।

दिया दर्दे ज़िगर, दर्दे तमन्ना इश्क में जिसने
उसी को बेरुख़ी देकर अगन दिल की बुझानी है।

भुला तहज़ीब जो ‘रजनी’ शराफ़त को कुचलता है
उसे रुस्वाइयाँ देकर तुम्हें कीमत चुकानी है।

डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)

1 Like · 353 Views
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